Trigger warning- Anxiety, panic attacks
एक आवाज़ है मन में अनसुनी सी,
या शायद कोई दस्तक,
कुछ कहना है,
पर हूँ बेखबर,
कुछ कर जाना है,
पर नही है हिम्मत।
कोई बेचैनी सी है,
कुछ अजीब ख्याल,
मन में बसे हैं।
शांत हूँ, नज़र कहीं पर टिकी है,
जैसे अलग हूँ वर्त्तमान से,
किसी अलग जगह हूँ, पर पता नहीं कहाँ ।
हज़ार करवटें हैं,
पर नींद एक पल की भी नहीं।
वक्त ठहरा भी है,
और लग रहा जैसे,
छूट रहा कोई, या कुछ? क्या पता ।
आँखों में सपनों से पहले,
मन में सवाल हैं,
चिंता है।
शायद कोई दरवाज़े पे खटखटा रहा है,
पर उस पार कोई नहीं।
सब दिमाग का खेल है,
तनाव और थकान का खेल।
पर क्या सच में दरवाज़े के उस पार कोई नहीं?
या शायद कोई दरवाज़ा ही नहीं?
– अवनी वर्मा