आज फिर थोड़ा रोई,
सिर्फ थोड़ा नहीं, बहुत।
अपनी आखें धोयी
और जाके खड़ी हो गयी आईने के सामने
मन में बहुत से सवाल थे।
पर फिलहाल,
अपने चेहरे से अश्क़ और पानी के बहाव को हटाय।
अब सब कुछ वापस कैसे करूँ ?
किसी को जानना, पहचानना,
फिर वापस से भरोसा करना और दिल लगाना।
कैसे करूँ मैं फिर से ?
कैसे मनाऊ अपने मन को जिसे अभी सिर्फ
हार और हानि दिख रही है।
उम्मीद और ख़ुशी नही।
-अवनी वर्मा